मार्च का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन और चैत्र महीने में बंटा होता है। इस महीने में प्रकृति अपने रंग-बिरंगे रूप में नज़र आती है। वसंत ऋतु की शुरुआत होती है और प्रकृति नए जीवन से भर जाती है। इस समय कई धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं। मार्च में होली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह रंगों का पर्व है जो लोगों के बीच प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी मार्च में पड़ता है जो महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाता है।
यह महीना साल का वह समय होता है जब प्रकृति अपने चरम पर होती है। पेड़-पौधों पर नए पत्ते और फूल खिलते हैं, और हर तरफ हरियाली और रंगीन नज़ारे दिखाई देते हैं। मौसम भी सुखद होता है, न ज्यादा गर्मी और न ज्यादा ठंड।
मार्च में कई महत्वपूर्ण त्योहार आते हैं। होली, जो रंगों का त्योहार है, इस महीने का सबसे बड़ा त्योहार होता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी मार्च में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के सम्मान और उनके अधिकारों के लिए समर्पित है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से मार्च में पड़ने वाले व्रत और त्योहार के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मार्च 2025 का महीना ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस महीने में कई बड़े और प्रभावशाली ग्रह अपनी चाल बदलेंगे, जिससे विभिन्न राशियों के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन होने की संभावना है।
हनुमान जी का जन्मोत्सव हर वर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। अभिजीत मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना की जाती है।
गणेश चतुर्थी की शुरुआत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और यह पर्व चतुर्दशी तिथि को समाप्त होता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला भव्य उत्सव होता है।
भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था।