सनातन हिंदू धर्म में, माघ पूर्णिमा के बाद फाल्गुन माह की शुरुआत मानी जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, यह वर्ष का अंतिम महीना होता है। फाल्गुन के महीने को फागुन का महीना भी कहा जाता है। इस महीने महाशिवरात्रि और होली जैसे बड़े त्योहार मनाए जाते हैं। इसके साथ ही फाल्गुन के महीने में कई शुभ मुहूर्त बनते हैं, जिसमें कई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन और खरीदारी इत्यादि किए जा सकते हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में फाल्गुन महीने के शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।
फाल्गुन के पहले 2, 3, 6, 7 और 12 फरवरी जबकि फाल्गुन शुरू होने के उपरांत 13, 14, 15, 18, 19, 21, 23 और 25 फरवरी के दिन को विवाह के लिए अनुकूल माना गया है। वहीं, मार्च महीने की बात करें तो इसमें 1, 2, 6, 7 और 12 मार्च की तिथि शादी करने के लिए शुभ मानी गई है।
फाल्गुन माह को हिंदू कैलेंडर में बारहवां महीना माना गया है। विजया एकादशी, महाशिवरात्रि, होली जैसे कुछ प्रमुख त्योहार फाल्गुन माह में ही मनाए जाते हैं। विजया एकादशी भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है। वहीं, महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना के त्योहार के रूप में प्रसिद्ध है। इसके अलावा, फाल्गुन मास में फाल्गुन पूर्णिमा या होली एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाई जाती है। इसे "रंगों के त्यौहार" के नाम से भी जाना जाता है।
फाल्गुन माह में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान, प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए और पूजा के समय शंकर जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही, सामर्थ्य अनुसार दान भी करना आवश्यक है। मान्यता है कि इस माह में दान करने से जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और धन लाभ के अवसर भी बढ़ते हैं। फाल्गुन माह में भगवान चंद्रमा की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
इस माह में गाय की सेवा करना भी महत्वपूर्ण है।
नागा साधु अपने पूरे शरीर पर भभूत लगाते हैं। ये हमेशा नग्न अवस्था में ही नजर आते हैं। चाहे कोई भी मौसम हो, उनके शरीर पर वस्त्र नहीं होते। वे शरीर पर भस्म लपेटकर घूमते हैं। नागाओं में भी दिगंबर साधु ही शरीर पर भभूत लगाते हैं। यह भभूत ही उनका वस्त्र और श्रृंगार होता है। यह भभूत उन्हें बहुत सारी आपदाओं से बचाता भी है।
नागा साधु भारत की प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे केवल सनातन धर्म के संरक्षक भी माने जाते हैं। इनका जीवन कठोर तपस्चर्या, शैव परंपराओं और भगवान शिव की भक्ति में बीतता है। नागा साधु धार्मिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ होते हैं। साथ ही हिंदू धर्म की रक्षा में भी ऐतिहासिक योगदान भी देते हैं।
महाकुंभ को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान कहा गया है। अखाड़े इस धार्मिक अनुष्ठान की रौनक है, जो इसकी शोभा बढ़ाते हैं। इनका नगर प्रवेश हमेशा से एक चर्चा का विषय होता है।
पूजा-पाठ से लेकर विशेष अनुष्ठान एवं हवन इत्यादि सभी तरह की पूजा में आचमन आवश्यक है। आचमन का शाब्दिक अर्थ है ‘मंत्रोच्चारण के साथ जल को ग्रहण करते हुए शरीर, मन और हृदय को शुद्ध करना।’ शास्त्रों में आचमन की विभिन्न विधियों के बारे में बताया गया है। आचमन किए बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है।