Aaj Ka Panchang 06 march 2025: पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। वहीं आज गुरुवार का दिन है। इस तिथि पर रोहिणी नक्षत्र और विष्कुम्भ योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा वृषभ राशि में संचार कर रहे हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं। आपको बता दें, आज गुरुवार के दिन अभिजीत मुहूर्त का योग दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 01 मिनट तक है। इस दिन राहुकाल दोपहर 02 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक है। आज तिथि के हिसाब से आप गुरुवार का व्रत रख सकते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करें। वहीं आज रोहिणी व्रत भी रखा जा रहा है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज गुरुवार के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से भाग्योदय हो सकता है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है और आज के दिन किन मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है।
आज ग्रह गोचर की कोई युति नहीं बन रही है।
03 मार्च को रोहिणी नक्षत्र और विष्कुम्भ योग का दिव्य संयोग है। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि और सूर्य कुंभ राशि में गोचर करते हुए शुभ योग बना रहे हैं। आज गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप से करें। गुरुवार का व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं। पीले रंग के वस्त्र पहनें और पीले रंग की वस्तुओं का दान करें। भगवान विष्णु को पीले रंग के फल और मिठाई का भोग लगाएं। गुरुवार की व्रत कथा का पाठ करें।
आज रोहिणी नक्षत्र है, जो कि बहुत ही शुभ नक्षत्र माना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। आज गुरुवार का दिन है। आज भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा विधि-विधान के साथ करें। साथ ही मंत्रों का जाप करें। इससे आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं। साथ ही भाग्योदय हो सकता है।
जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे शानदार नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। अब जब कुंभ की बात हो रही है, तो नागा साधुओं की बात जरूर होगी ही। यह मेले का मुख्य आकर्षण होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।
हिंदुओं के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम महाकुंभ की शुरुआत में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। पहला शाही 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होने वाला है। इसमें सबसे पहले नागा साधु स्नान करेंगे।
नागा साधु को महाकुंभ का आकर्षण माना जाता है, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनका शाही स्नान में महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इन्हें आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन बनाने के लिए उचित माना जाता है।