हिंदू धर्म में कुंभ मेले का अत्यधिक महत्व है। इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस वर्ष महाकुंभ मेला 13 जनवरी से प्रारंभ हो रहा है और 26 फरवरी को समाप्त होगा। महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा के स्नान से होती है, जबकि समापन महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान से होता है। इस बार महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। क्या आप जानते हैं कि हरिद्वार में कुंभ मेला कब होगा? आइए, इसे जानें।
हरिद्वार में कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है। शास्त्रों के अनुसार, कुंभ मेले में गंगा में स्नान करने से मोक्ष प्राप्ति होती है और पापों तथा रोगों से मुक्ति मिलती है। जब गुरु ग्रह कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होता है। 2021 में यह मेला हुआ था, अगला महाकुंभ हरिद्वार में 2033 में आयोजित होगा।
समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरीं थीं, जो चार स्थानों पर पहुंचीं—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन स्थानों की नदियों में अमृत की बूंदें गिरी थीं, इसलिए इन शहरों में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। प्रयागराज का संगम, हरिद्वार की गंगा, उज्जैन की शिप्रा और नासिक की गोदावरी नदियां हैं, जहां श्रद्धालु पापों से मुक्ति पाने के लिए स्नान करते हैं।
जब सूर्य मेष राशि में और गुरु कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में कुंभ मेला आयोजित होता है।
जब सूर्य मकर राशि में और गुरु वृष राशि में होते हैं, तब प्रयाग में कुंभ मेला आयोजित होता है।
जब गुरु सिंह राशि में प्रवेश करते हैं, और अमावस्या पर सूर्य व चंद्रमा कर्क राशि में होते हैं, तब नासिक में सिंहस्थ मेला आयोजित होता है।
जब सूर्य मेष राशि में और गुरु सिंह राशि में होते हैं, तब यहां सिंहस्थ मेला लगता है।
यह सभी मेले ज्योतिष गणना के अनुसार निर्धारित होते हैं।
नोट- हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ की तारीख को लेकर अभी संशय बना हुआ है। इसलिए हमने आर्टिकल में तारीख का विवरण नहीं किया है।
आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।
प्रयागराज का महाकुंभ अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, हजारों साधु-संत भी यहां आते हैं। इनमें नागा साधुओं का अपना ही महत्व है। इनका कठोर तप और त्याग सभी को प्रेरित करता है।
महाकुंभ में सबसे खास होता है शाही स्नान, शाही स्नान के साथ-साथ इस मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु भी होते हैं। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान किया जा चुका है, जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
सत्यनारायण व्रत एक पवित्र और शक्तिशाली धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा से भी भर देता है।