छठ पूजा विशेषकर भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसमें सूर्य देव और छठी मैया की आराधना की जाती है। इस पूजा में कबूला या कोबला का विशेष महत्व है, जिसके अंतर्गत व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले जल में खड़े रहते हैं। माना जाता है कि सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्य देवता को अर्घ्य देना विशेष फलदायी होता है। इस पूजा में व्रती का जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना एक कठिन साधना है। आइए, जानते हैं इसके पीछे के मुख्य कारण।
छठ पूजा की कबूला या कोबला परंपरा में व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले लगभग दो घंटे तक कमर तक पानी में खड़े रहते हैं। इसे केवल धार्मिक कृत्य नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक साधना भी माना जाता है। इसमें व्रती अपनी इंद्रियों पर संयम रखते हुए पूरी श्रद्धा से सूर्य देव की उपासना करते हैं। माना जाता है कि इससे कई तरह के लाभ भी प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार हैं।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर व्रती सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि सूर्यास्त के समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। इस समय उन्हें अर्घ्य देने से जीवन में चल रही परेशानियों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। कबूला या कोबला के माध्यम से व्रती सूर्य देव की आराधना करते हैं और जल, पृथ्वी और संपूर्ण प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और शांति के उपायों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यूं तो साल में आने वाली सभी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता हैI
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की अमावस्या का विशेष महत्व है और जब यह तिथि सोमवार को आती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें तर्पण देने का सबसे श्रेष्ठ अवसर होता है।
हिंदू पंचांग में हर अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह दिन पितृों की शांति के लिए, आत्मिक शुद्धि के लिए और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्तम माना गया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल 12 अमावस्या तिथियां आती हैं, जिनमें हर एक का अपना अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। लेकिन ज्येष्ठ माह में आने वाली अमावस्या को खास माना गया हैI