मन की मुरादें, पूरी कर माँ,
दर्शन करने को मैं तो आउंगी ।
तेरा दीदार होगा, मेरा उद्धार होगा,
हलवे का भोग मैं लगाउंगी ।
तू है दाती दान देदे,
मुझ को अपना जान कर ।
भर दे मेरी झोली खाली,
दाग लगे ना तेरी शान पर ।
सवा रुपया और नारीयल,
मैं तेरी भेंट चढ़ाउंगी ॥
मन की मुरादें, पूरी कर माँ,
दर्शन करने को मैं तो आउंगी ।
तेरा दीदार होगा, मेरा उद्धार होगा,
हलवे का भोग मैं लगाउंगी ।
छोटी छोटी कन्याओं को,
भोग लगाऊं भक्ति भाव से ।
तेरा जगराता कराऊं,
मैं तो बड़े चाव से ।
लाल द्वजा लेकर के माता,
तेरे भवन पे लहराउंगी ॥
मन की मुरादें, पूरी कर माँ,
दर्शन करने को मैं तो आउंगी ।
तेरा दीदार होगा, मेरा उद्धार होगा,
हलवे का भोग मैं लगाउंगी ।
महिमा तेरी बड़ी निराली,
पार न कोई पाया है ।
मैंने सुना है, ब्रह्मा, विष्णु शिव ने,
तेरा गुण गाया है ।
मेरी औकात क्या है,
तेरी माँ बात क्या है,
कैसे तुझ को भुलाउंगी ॥
मन की मुरादें, पूरी कर माँ,
दर्शन करने को मैं तो आउंगी ।
तेरा दीदार होगा, मेरा उद्धार होगा,
हलवे का भोग मैं लगाउंगी ।
लाल चोला लाल चुनरी,
लाल तेरे लाल हैं ।
तेरी जिस पर हो दया माँ,
वो तो मालामाल है ।
श्यामसुंदर और लक्खा बालक हैं तेरे,
उनको भी संग मैं लाउंगी ॥
मन की मुरादें, पूरी कर माँ,
दर्शन करने को मैं तो आउंगी ।
तेरा दीदार होगा, मेरा उद्धार होगा,
हलवे का भोग मैं लगाउंगी ।
अन्नकूट पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण और गिरिराज यानी गोवर्धन की पूजा के लिए मनाया जाता है। 5 दिवसीय दिवाली त्योहार का धार्मिक रूप से एक महत्वपूर्ण पहलू है।
दीपों के पर्व दीपावाली को हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को बड़े उल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के लिए लोग पहले से ही अपने घरों की सजावट और साफ-सफाई शुरू कर देते हैं, ताकि माता लक्ष्मी के स्वागत में कोई कमी ना रहे।
छोटी दिवाली दीयों से घर-आंगन को रोशन करने का पर्व है। इसका संबंध हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि से भी है। इस दिन घी और तेल के दीपक जलाने, यमराज के लिए दीपदान करने और अभ्यंग स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
रोशनी और सजावट के पर्व दीपावली में धन और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा विधि-विधान से पूर्ण की जाती है।