Aaj Ka Panchang 31 May 2025: आज 31 मई 2025 को ज्येष्ठ माह का 20वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि पंचमी है। आज शनिवार का दिन है। इस तिथि पर रवि योग रहेगा। सूर्य वृषभ राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज शनिवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:51 ए एम से 12:47 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 08:51 ए एम से 10:35 ए एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित होता है। आज कोई खास त्योहार नहीं है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि प्रारंभ - 30 मई 09:22 पी एम तक
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि समाप्त - 31 मई 08:15 पी एम तक
जब अश्लेषा नक्षत्र का संयोग शनिवार के दिन होता है, तो यह दिन आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। अश्लेषा नक्षत्र का स्वामी सर्पों के अधिपति नाग माने जाते हैं, और शनिवार शनि देव का दिन है, जो कर्म, न्याय और ग्रह पीड़ा से संबंधित हैं। ऐसे में इस संयोग पर कर्म दोष, कालसर्प दोष, पितृ दोष और शनि से जुड़ी बाधाओं की शांति हेतु पूजा, तर्पण, दान तथा विशेष उपाय अत्यंत फलदायी होते हैं। यह दिन गुप्त साधना, उपाय, मंत्र सिद्धि और ग्रह शांति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
संन्यास और वैराग्य, दोनों ही आध्यात्मिक साधना के प्रमुख मार्ग हैं। परंतु, जब भी लोग किसी संन्यासी को देखते हैं तो अक्सर उन्हें वैरागी समझ लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों ही उच्च आध्यात्मिक साधना और ईश्वर की भक्ति से जुड़े होते हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में अखाड़े और साधु-संत आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनमें से सबसे अलग और अद्भुत दिखने वाले नागा साधु हैं। भस्म लगाए और अपने विशिष्ट स्वरूप में नागा साधु हर किसी का ध्यान खींचते हैं।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।