अगर आप जून 2025 में अपने नए घर में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं तो यह समय आपके लिए शुभ हो सकता है। इस महीने गृह प्रवेश के लिए दो शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले शुभ तिथि और मुहूर्त देखना अत्यंत आवश्यक होता है। ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य अधिक फलदायी होता है और उसमें सफलता सुनिश्चित होती है।
गृह प्रवेश जैसे महत्वपूर्ण अवसर के लिए उपयुक्त तिथि, समय और नक्षत्र का चयन आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि को आमंत्रित करता है। यदि आप जून 2025 में गृह प्रवेश करने का विचार कर रहे हैं तो आगे दिए गए मुहूर्त को जरूर ध्यान में रखें।
4 जून 2025, बुधवार
इस रात्रिकालीन मुहूर्त में गृह प्रवेश करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार में सुख शांति बनी रहती है।
6 जून 2025, शुक्रवार
एकादशी तिथि और चित्रा नक्षत्र का योग इस दिन को अत्यंत शुभ बनाता है। इस दिन गृह प्रवेश करने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
ज्योतिषीय कारण:
जून 2025 में ग्रहों की स्थिति, चंद्र नक्षत्र और शुभ तिथियों का संयोग दो बार बन रहा है जो गृह प्रवेश के लिए अनुकूल है। विशेषकर चित्रा और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र शुभ फलदायी माने जाते हैं।
धार्मिक महत्व:
गृह प्रवेश एक पवित्र और आध्यात्मिक अनुष्ठान होता है जो नए घर में शुभता और ईश्वर का आशीर्वाद लेकर आता है। विशेष तिथि और नक्षत्रों में प्रवेश करने से घर में लंबे समय तक शांति और समृद्धि बनी रहती है।
गृह प्रवेश केवल एक स्थान परिवर्तन नहीं बल्कि जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है। वास्तु शास्त्र और वैदिक ज्योतिष दोनों ही गृह प्रवेश को एक शक्तिशाली अनुष्ठान मानते हैं। इस पूजा का उद्देश्य घर में सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करना और नकारात्मक शक्तियों को दूर करना होता है। शुभ मुहूर्त में किया गया गृह प्रवेश परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में सुख, सौहार्द और समृद्धि लेकर आता है।
फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि यानी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पूजा के दौरान अगर भगवान शिव के महामंत्रों का जाप किया जाए, तो इससे मृत्यु का भय दूर हो जाता है I
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का शुभ अवसर माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। फाल्गुन माह में आने वाली अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। यह दिन अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने के लिए शुभ माना जाता है। लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
फाल्गुन अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस अमावस्या से बेहतर दिन ही नहीं है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।