12 ज्योतिर्लिंग में सबसे आखिरी घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम आता है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में मौजूद है। भारत के हर कोने में एक ज्योतिर्लिंग बसा हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है। हर ज्योतिर्लिंग का अपना ही महत्व है। अन्य ज्योतिर्लिंग की तरह घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भी शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास और पवित्र है। बता दें कि
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है। कहा जाता है कि घुष्मा की भक्ति को देखकर भगवान बहुत ही खुश हुए थे और उसी स्थान पर प्रकट भी हुए थे, जहां आज की तारीख में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास काफी रोचक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 18 वीं शताब्दी में देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में यह मान्यता है कि यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। इसके अलावा सावन के महीने में भी यहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का निकटतम रेलवे स्टेशन औरंगाबाद रेलवे स्टेशन है। आप रेलवे स्टेशन से टैक्सी या कैब लेकर आसानी से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंच सकते हैं।
सनातन धर्म में सप्ताह के हर एक दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक शनिवार का दिन है, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
हिंदू धर्म में सप्ताह का सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में सप्ताह का आखिरी दिन यानी रविवार भगवान सूर्य देव का दिन माना जाता है।
हिंदू धर्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
सनातन धर्म में मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि मंगलवार को अगर कोई भी भक्त बजरंगबली की सच्चे मन और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है तो हनुमान जी अपने भक्त को निराश नहीं करते हैं।